बुधवार, 14 दिसंबर 2011

*****उनके शहर से हम चले जब जाएंगे*****

उनके शहर से हम चले जब जाएंगे
कैसे कहें फ़िर लौटकर कब आएंगे

जैसे तलाशेंगे कहीं भी वो सकूँ
यादों ज़हन में तो हमें तब पाएंगे

ऐसा नहीं के बिन हमारे कुछ थमे
ये भी नहीं के भूल वो सब जाएंगे

चाहत करीबी की सतायेगी कभी
ज़हनो ज़िगर में यार हम तब छाएंगे

हम तो फकीरों सी जिये सारी खुशी
उन्हें यहाँ की दे खुशी सब जाएंगे  !!
                                        
                           -----अश्विनी रमेश !

(यह गज़ल अश्विनी रमेश द्वारा सबसे पहले  "ओ० बी० ओ०" साईट पर प्रकाशित की गयी !तत्पश्चात "हिमधारा" साईट पर भी इसे लिंक के माध्यम से प्रकाशित किया गया !दोनों साइटस पर पर्याप्त टिप्पणियां इसपर हुईं !उसके बाद इस गज़ल को सर्जक द्वारा आयोजित ठियोग की काव्य गोष्ठी में भी पढ़ा गया ! अब यह आपकी नज़र पेशे खिदमत है !
                                    

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