शुक्रवार, 30 मार्च 2012

जब तुम पर उदासी छाएगी फ़िर याद कर लेना--गज़ल

जब तुम पर उदासी छाएगी फ़िर याद कर लेना
शेरों से हमारे फ़िर कभी दिल शाद कर लेना

मन की तितलियाँ जब फड़फड़ातीं जाएंगीं
यादों के घरोंदे में कभी आबाद कर लेना

साया भी हमारा साथ तेरा इस कदर देगा
दिलकश ये अह्सासे रूह बरसों भी बाद कर लेना

अहसासे रूह एक रोशनी में तुम हमें देखना
कोई नाम ना आकार दे आज़ाद कर लेना

पानी में हवा में आग में हर जगह हम ही हैं
जब चाहे जहाँ चाहे हमें तुम याद कर लेना !!

                                                                       --अश्विनी रमेश !

(यह गज़ल आज ही मैंने फेसबुक नोट के माध्यम से पहले फेसबुक पर सबसे पहले प्रकाशित की--अश्विनी रमेश )

शुक्रवार, 16 मार्च 2012

एक सूरज से वो अबर में छुप गये--गीत द्वारा सतीश अग्रवाल

एक सूरज से वो अबर में छुप गये
मैं अंजुलि में लिये जल खड़ा रह गया
जैसे आँसू निकलकर कोई आँख से
ओस की तरह मुख पे पड़ा रह गया

जाने किसने है तोड़े ये खिलते सुमन
तितलियाँ चुपके रोती हैं उद्यान में
सूख जाता तो महसूस होता नहीं
वो हरा घाव था जो हरा रह गया

साथ दे न कोई तो अकेले चलो
राह में छोड़ दे तो अकेले चलो
संग पक्षी के उड़ने की चाहत में मैं
इस धरा पर गिरा था गिरा रह गया

ये है तेरा शहर वो मेरा गाँव
है इस तरफ धूप है उस तरफ छांव
है कैसे टुकड़ों में हिरदय को बांटे कोई
कितना सहमा मैं कितना डरा रह गया !!

गुरुवार, 8 मार्च 2012

ओ पवन उनकी हथेली की छुअन लाना कभी--गीत द्वारा सतीश अग्रवाल ,फरीदाबाद

                                                                 

ओ पवन उनकी हथेली की छुअन लाना कभी
आये जब होली तो मेरे मुख पे मल जाना कभी

हो सुपरिचत केश की मधु गंध से तुम भी पवन
एक मुट्ठी भर के अपने साथ ले आना कभी

टिमटिमाये बिन दीया जब जल रहा हो सामने
एक झोंके से मेरी पलकों को ढक जाना कभी

नीर नयनों से बहाकर हमने संचित कर लिये
भेद सावन बीत जाने का बता जाना कभी

करवटों से बिस्तरे पर गीत हमने लिख दिया
वो जो आँगन में मिले तो गुनगुना जाना कभी !!