सोमवार, 25 नवंबर 2013


हर शख्स खुद को क्या दिखाना चाहता है

आखिर वजूद अपना क्यों बताना चाहता है !

 

 सच ने ही बख्शा है किसी शख्स को वजूद

 दूसरों को फिर वोह क्या जताना चाहता है !

 

जिस खुदा की बदोलत सांसे ले रहा है वो

उसी खुदा को वोह क्या आजमाना चाहता है !

 

कुदरत की तरह  सादा ज़िंदगी जीता है जो

ज़माना उसको फिर क्यों ठुकराना चाहता है !

 

जमाने की क्यों करते हो’ रमेश’ तुम परवाह

 खुदा तो है जो तुम्हे अच्छा बनाना चाहता है !!

                                         © --अश्विनी रमेश (इस ग़ज़ल की रचना मेरे द्वारा आज दिनांक 24 नवम्बर ,2013 की गयी )

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