रविवार, 29 जनवरी 2012

मैं अमन उपासक हूँ--गीत-द्वारा एल.आर.झींगटा

मैं अमन उपासक हूँ मेरे अधरों पे वंदन रहने दो
मैं प्रेम पपीहा हूँ मेरे गीतों में चंदन बहने दो
मैं घायल मन को मरहम हूँ
मैं तपते तन को शबनम हूँ
मैं सुमन सुवासित सरगम हूँ
नित नव उत्पीडन रहने दो...

शनिवार, 28 जनवरी 2012

मैं राहे जिन्दगी पे चलता जाता हूँ--गज़ल

मैं राहे जिन्दगी पे चलता जाता हूँ
अहसासे रूह मगर मैं करता जाता हूँ

चोटों से जिन्दगी की मैंने सीखा है
ज़ख्मों को यों तभी अपने भरता जाता हूँ

दुःख दरदों से कभी डरना कैसा है अपने
दर्दमंदों के मगर दर्द से मैं मरता जाता हूँ

इन्सा जो भी वफा की राहों पे चलते हैं
उनका मैं तो हमेशा ही सजदा करता जाता हूँ

सच की राहें बड़ी हैं आसाँ चलने को
पैगामे जिन्दगी मैं ऐसा कहता जाता हूँ       !!
                                                                         (यह गज़ल मैंने आज२८/१/२०१२ को "हिमधारा" साईट पर प्रकाशित की है,और इसका लिंक मैने इस ब्लॉग पर भी दे दिया था !अब पूरी गज़ल मैं पाठकों की सुविधा के लिए यहाँ भी दे रहा हूँ--अश्विनी रमेश )

हिमधारा: मैं राहे ज़िंदगी पे चलता जाता हूँ--गज़ल

हिमधारा: मैं राहे ज़िंदगी पे चलता जाता हूँ--गज़ल

शनिवार, 14 जनवरी 2012

जान की तरह ...

जिस्म में रहते थे कभी जान की तरह,
अब अपनें घर में हैं मेहमान की तरह !!

इंतज़ार नें महरूम रक्खा, शाम होते ही,
वो दिल अपना बढ़ा गए दुकान की तरह !!

मेरी हर बात उसनें रक्खी संभालकर,
कचहरी में दिए हुए बयान की तरह !!

बालू के ढेर में, एक सीपी मिली मुझे,
किसी बुझे-हुए दिल में अरमान की तरह !!

एक-एक पल में, सौ-सौ बार जताया,
प्यार भी किया किये एहसान की तरह !!

हमीं नें रक्खे जिनके तरकश में तीर,
वो हमीं पे तन गए कमान की तरह !!

अक्सर महफिलों में पेश करते हैं,
हमें खोलकर वो पानदान की तरह !!

हैवान
भी फरिश्तों-सी बात करनें लगा,
हम जो पेश आये एक इंसान की तरह !!

मक्खनपलोस पा गए किताबों में नाम,
हुनरमंद लापता रहे भगवान की तरह !!

भरी-पूरी दुनिया में, होते हुए 'निशात',
कुछ लोग रहे ताउम्र, श्मशान की तरह !!

रविवार, 8 जनवरी 2012

मिज़ाजे मौसम अब बदलता जा रहा है--गज़ल

मिज़ाजे मौसम अब बदलता जा रहा है
हवाओं का रुख अब बिगड़ता जा रहा है

तबीयत तुम अब तो हमारी बस न पूछो
दिले नाज़ुक अब तो बिखरता जा रहा है

कहीं दिलकश मन्ज़र तलाशे है मगर ये
दिले नादां तो बस तडपता जा रहा है

खबर कोई आखिर हमारी रखे ऐसा ये
उम्मीदे ख्याल भी संभलता जा रहा है

पशेमा होकर ही हमें जीना पड़ेगा
सकूने दिल अब तो ठहरता जा रहा है !!
                                                           --अश्विनी रमेश !
              *****
(यह गज़ल मैंने७/१/२०१२ को हिमधारा पर प्रकाशित की थी और इसका लिंक इस ब्लॉग पर भी दे दिया था ! पाठकों की सुविधा के लिये अब पूरी गज़ल यहाँ भी पोस्ट कर रहा हूँ--अश्विनी रमेश )

रविवार, 1 जनवरी 2012

नये साल का इस्तकबाल करते मेरे शेर--अश्विनी रमेश

मुबारक तुम्हे ये नया साल हो
खुशियों का ऐसा ये उपहार हो
खुशियाँ ही बिखेरे ये हर तरफ
गमों का न कोई यहां संसार हो !!





· · · 2 hours ago

नये साल का इस्तकबाल करते मेरे शेर-अश्विनी रमेश

नये साल की खुशी बांटेंगे हम
गमों की सब जंजीरें काटेंगे हम
जो भी आएंगे गुलशन में हमारे
खुशियाँ सबके ही संग बाँटेंगे हम !
--अश्विनी रमेश

नये साल का इस्तकबाल करते मेरे शेर-अश्विनी रमेश

नया साल मुबारक हो तुम्हे
इसकी रंगे बहार मुबारक हो तुम्हे
अंजुमन तुम्हारा खुशियों से खिले
खुशियों का इंतज़ार मुबारक हो तुम्हे !
--अश्विनी रमेश !