बुधवार, 28 दिसंबर 2011

*****फासले हमसे ज़मी के तो मिटाये ना गये*****--गज़ल

फासले हमसे ज़मी के तो मिटाये ना गये
यार वो गुज़रे कभी लम्हे भुलाये ना गये

हम हमेशा से रहे उलझे किसी उलझन लिये
फ़िर कभी ऐसे सकूने पल बिताये ना गये

वक्त की बेदिल गरद में दब गये शीशाए दिल
वो बचाते और बचते भी बचाये ना गये

आए भी जिन्दगी में यूँ हमारी थे मगर
जब गये तो यूँ लगा के वो न आये ना गये

सोच में डूबे रहे हम तो कभी खोये रहे
चाहकर भी राज़ ये हमसे बताये ना गये   !!

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

*****रूठते सिरफ वो तो मना ही लेते हम*****--गज़ल

रूठते सिरफ वो तो मना ही लेते हम
होते गिले शिकवे तो मिटा ही लेते हम

हमसे खफा का सबब वो ही जाने
होती खता कोई सज़ा ही लेते हम

ऐसी न थीं मजबूरियाँ कोई उनकी
होते दिले रुसवा खता ही लेते हम

वस्ल हिज्र ज़माने की पुरानी बातें हैं
जो हाल हो खुलकर सुना ही लेते हम

रूठना कभी तो मान जाना वाज़िब है
होता कहीं ऐसे निभा ही लेते हम !!

           (यह गज़ल मैंने 22/12/2011 को पहली बार "हिमधारा" साईट पर प्रकाशित की थी और इसका लिंक इस ब्लॉग पर दिया था,पाठकों की सुविधा हेतु पूरी गज़ल यहाँ भी दे रहा हूँ--अश्विनी रमेश)

*****फासले तो प्यार की यादें भुला देते हैं*****

 

फासले तो प्यार की यादें भुला देते हैं

लोग भी तो प्यार की क्या कम सजा देते हैं

 

प्यार गर कोई करे तो फ़िर  खुदा से ही हो

फ़िर नहीं कोई कहाँ हस्ती मिटा देते हैं

 

ठोकरें खायी न हों जिसने कभी भी तो गर

वक्त के हालत उसको तो सिखा देते हैं

 

जब भलाई और दरिया दिल चले होकर हम

लोग ऐसे कौन किसको कब सिला देते हैं

 

जो मगर हमने किया वो तो फ़रज़ है समझा

काम हमसे वो खुदा ही तो करा देते हैं       !!

       (यह गज़ल मैंने 19/12/2011 को पहली बार “हिमधारा” साईट पर प्रकाशित की थी और जिसका लिंक इस ब्लॉग पर दिया था,पाठकों की सुविधा हेतु पूरी गज़ल यहाँ भी दे रहा हूँ—अश्विनी रमेश )

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

*****उनके शहर से हम चले जब जाएंगे*****

उनके शहर से हम चले जब जाएंगे
कैसे कहें फ़िर लौटकर कब आएंगे

जैसे तलाशेंगे कहीं भी वो सकूँ
यादों ज़हन में तो हमें तब पाएंगे

ऐसा नहीं के बिन हमारे कुछ थमे
ये भी नहीं के भूल वो सब जाएंगे

चाहत करीबी की सतायेगी कभी
ज़हनो ज़िगर में यार हम तब छाएंगे

हम तो फकीरों सी जिये सारी खुशी
उन्हें यहाँ की दे खुशी सब जाएंगे  !!
                                        
                           -----अश्विनी रमेश !

(यह गज़ल अश्विनी रमेश द्वारा सबसे पहले  "ओ० बी० ओ०" साईट पर प्रकाशित की गयी !तत्पश्चात "हिमधारा" साईट पर भी इसे लिंक के माध्यम से प्रकाशित किया गया !दोनों साइटस पर पर्याप्त टिप्पणियां इसपर हुईं !उसके बाद इस गज़ल को सर्जक द्वारा आयोजित ठियोग की काव्य गोष्ठी में भी पढ़ा गया ! अब यह आपकी नज़र पेशे खिदमत है !
                                    

रविवार, 11 दिसंबर 2011