tag:blogger.com,1999:blog-64410442425738640652024-03-12T20:06:31.711-07:00महफिले शायरीइस ब्लॉग पर शायरी की किसी भी विधा -गज़ल,नज़्म , एकल शेर व गीत में शौक फरमाने वाले शायर,गीतकार अपने फन अपनी अदबकारी का इज़हार कर सकते हैं ! इच्छुक लेखक /पाठक सदस्य बनकर ब्लॉग में अपनी रचनाएँ पोस्ट कर सकतें हैं ! आप ईमेल के माध्यम से भी प्रकाशनार्थ रचनाएँ भेज सकतें हैं --अश्विनी रमेश ! Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.comBlogger44125tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-80616453893178098822014-05-23T00:36:00.001-07:002014-05-23T00:36:30.973-07:00Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-50371885632205372672013-11-25T06:36:00.002-08:002013-11-25T06:36:41.074-08:00
हर शख्स खुद को क्या
दिखाना चाहता है
आखिर वजूद अपना क्यों
बताना चाहता है !
सच ने ही बख्शा है किसी शख्स को वजूद
दूसरों को फिर वोह क्या जताना चाहता है !
जिस खुदा की बदोलत सांसे
ले रहा है वो
उसी खुदा को वोह क्या
आजमाना चाहता है !
कुदरत की तरह सादा ज़िंदगी जीता है जो
ज़माना उसको फिर क्यों
ठुकराना चाहता है !
जमाने की क्यों करतेAshwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-14422964717569062282013-10-25T06:58:00.000-07:002013-10-25T06:59:14.242-07:00उदासी में कुछ भी नहीं सुहाता है
उदासी में कुछ भी नहीं
सुहाता है
मंजर दिलकश भी नहीं
लुभाता है !!
बैचेनियाँ जब इस कदर
घेरतीं हैं
मज़ा सा ज़िंदगी का नहीं
आता है !!
इन्सान तो इन्सान होता है
आखिर
कैसे कहें वो तो नहीं
घब्रराता है !!
असल में ज़िन्दगी इम्तिहा
होती है
हर कोइ अपने तरीके से
निभाता है
जब वक्त तेवर अपने दिखाता
है
इन्सान तब आखिर सहम जाता
है !!
&Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-48003398660880375692013-08-28T06:41:00.000-07:002018-05-10T03:37:34.066-07:00
इस ब्लॉग पर लेखक एवं पाठक के रूप में आपका हार्दिक स्वागत है !अतः : आप सहर्ष इस ग्रुप की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं --अश्विनी रमेश !
Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-76478687352026317892012-08-22T06:29:00.001-07:002012-08-22T06:29:44.817-07:00सुबीर संवाद सेवा --सुबीर संवाद सेवा--हिदी जगत के लोकप्रिय उक्त ब्लॉग पर ईद के अवसर पर आयोजित मुशायरे में मेरी गज़ल भी पढें ! ब्लॉग लिंक पर क्लिक करें !Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-14333625181325704232012-08-06T10:49:00.001-07:002012-08-06T10:49:26.250-07:00सुबीर संवाद सेवा: तरही के समापन से ठीक पहले का ये अंक जिसमें श्री अश्विनी रमेश जी की एक ग़ज़ल और आदरणीया लावण्या शाह जी की मुक्त छंद कविता ।सुबीर संवाद सेवा: तरही के समापन से ठीक पहले का ये अंक जिसमें श्री अश्विनी रमेश जी की एक ग़ज़ल और आदरणीया लावण्या शाह जी की मुक्त छंद कविता ।Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-27405421210039797392012-06-29T22:38:00.000-07:002012-06-29T22:38:24.827-07:00
मेरी मोहब्बत को समझ लेना, कहीं ना तमशा बना देना..
मैं घुंगरू बांध के नाचूँगा,तू बस महफ़िल सजा देना,
मैं तेरी आंख मैं रहता हूँ,तुझे एक बात ही कहता हूँ..
खारा पानी समझ के जूं ,मुझे.ना आँखों से बहा देना..
मेरे शहर के पत्थरों से ,तो हूँ बाकिफ में बहुत अच्छा,
बुला के शहर बेगाने में ,कहीं ना पत्थर बरस्बा देना..
लिखा तकदीर ए आशिक में,सच है यूँ चोट खाना भी.
मेहरबानी जो तेरी हो Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-47763800991345996772012-06-11T22:03:00.000-07:002012-06-11T22:03:16.274-07:00तेरे खुआब
मुझे भी तेरे खुआब देखने का शौंक है ..
कहदो न अपनी यादों से मुझे सोने दिया करें ..लेखक अश्वनी भारद्वाज Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-20373337783069184682012-06-11T21:56:00.003-07:002012-06-11T21:56:55.131-07:00शहर
जब भी नम नम सी हवाएं चलें तेरे शहर में ,समझ लेना के आज कल अश्वनी तेरे ही शहर मैं है. :-लेखक अश्वनी भरद्वाजAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-49140258679510117262012-06-11T21:56:00.000-07:002012-06-11T21:56:04.749-07:00वक़्त
इससे बुरी क्या होगी गरीब की दास्ताँ-ए-इश्क मुश्किल से मिला है वक़्त मुलाक़ात का और जेब मेरी खाली है. लेखक :-अश्वनी भरद्वाजAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-70208457501045846162012-06-11T21:51:00.000-07:002012-06-11T21:51:03.980-07:00मैं प्यार का रिश्ता नाज़ुक सा
मैं तेरी आँख में रहता हूँ ,बहाना सोच कर मुझको ,गिरे इक्क बार जो आँखों से, तो बो मिटटी में मिल जाएँ.मैं प्यार का रिश्ता नाज़ुक सा ,निभाना सोच कर मुझको ,इतनी राह न लम्बी हो,के फूल कबर पे खिल जाएँ, लेखनी:अश्वनी भरद्वाजAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-11346719288420778532012-06-11T21:50:00.000-07:002012-06-11T21:50:00.185-07:00बर्बादी
बदनाम न हो जाये तेरा नाम मैं चुप ही रहता हूँ ,यूँ तो लोग रोज मुझसे मेरी बर्बादी का सबब पूछते हैं. लेखक:अश्वनी भारद्वाज Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-46731370095403360332012-06-11T21:48:00.002-07:002012-06-11T21:48:10.372-07:00दीवानगी
तेरे शहर की हर दिवार को पता है मेरी दीवानगी का..अक्सर लग्ग के गले मैंने उनके आंसू बहाए हैं...लिखारी:अश्वनी भारद्वाजAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-70981964898814391862012-06-11T21:47:00.000-07:002012-06-11T21:47:03.401-07:00हालात
उसे लगा के छोड़ जाऊंगी मैं तो उजड़ जायेगा अश्वनी ,मुझे लगता है के तेरे जाने से हालात मेरे बेहतर हैं ..लेखनी अश्वनी भारद्वाजAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-21706984519511564462012-06-11T21:45:00.000-07:002012-06-11T21:45:14.738-07:00Gunah...
मैंने मेरे ही लोगों से गुनाह जे एक जरुर किया है...
लेके नाम किसी और का खुद को मशहूर किया है..Ashwani BhardwajAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/05500706927862983789noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-12494565400531414472012-04-06T10:08:00.001-07:002012-04-06T10:08:14.798-07:00कभी हम गिरते गए कभी सँभलते गए--गज़ल
कभी हम गिरते गए कभी सँभलते गए
रास्ते हयात खुद यों फ़िर संवरते गए
पशेमां भी रहे हैरां भी हम रहे
दिन जिन्दगी के यों मिले जुले गुजरते गए
कभी अपनों कभी गैरों के भी रहे
दिल साफ़ हम थे तो अच्छे दिन निकलते गए
खुद ही हदें जो थीं कभी तय की हमने
बाकायदा उन तयशुदा हदों पे हम तो चलते गए
नाकाम और काबिल हम न ये जाने
दुआ से उस खुदा की रास्ते मिलते गए !!
&Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-79378659245507095142012-03-30T10:21:00.000-07:002014-03-21T07:19:49.159-07:00जब तुम पर उदासी छाएगी फ़िर याद कर लेना--गज़ल
जब तुम पर उदासी छाएगी फ़िर याद कर लेना
शेरों से हमारे फ़िर कभी दिल शाद कर लेना
मन की तितलियाँ जब फड़फड़ातीं जाएंगीं
यादों के घरोंदे में कभी आबाद कर लेना
साया भी हमारा साथ तेरा इस कदर देगा
दिलकश ये अह्सासे रूह बरसों भी बाद कर लेना
अहसासे रूह एक रोशनी में तुम हमें देखना
कोई नाम ना आकार दे आज़ाद कर लेना
पानी में हवा में आग में हर जगह हम ही हैं
जब चाहे जहाँ चाहे हमें तुम याद कर लेना !!
&Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-65944275862726365222012-03-24T10:00:00.001-07:002012-03-24T10:00:46.571-07:00सफरे हयात यों ही चलता ही चला जाता है--गज़ल - हिमधारा#.T2320WX4c7s.facebook#.T2320WX4c7s.facebook#.T2320WX4c7s.facebookसफरे हयात यों ही चलता ही चला जाता है--गज़ल - हिमधारा#.T2320WX4c7s.facebook#.T2320WX4c7s.facebook#.T2320WX4c7s.facebookAshwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-26912516302714456952012-03-16T08:46:00.000-07:002012-03-16T09:12:19.565-07:00एक सूरज से वो अबर में छुप गये--गीत द्वारा सतीश अग्रवाल
एक सूरज से वो अबर में छुप गये
मैं अंजुलि में लिये जल खड़ा रह गया
जैसे आँसू निकलकर कोई आँख से
ओस की तरह मुख पे पड़ा रह गया
जाने किसने है तोड़े ये खिलते सुमन
तितलियाँ चुपके रोती हैं उद्यान में
सूख जाता तो महसूस होता नहीं
वो हरा घाव था जो हरा रह गया
साथ दे न कोई तो अकेले चलो
राह में छोड़ दे तो अकेले चलो
संग पक्षी के उड़ने की चाहत में मैं
इस धरा पर गिरा था गिरा रह गया
ये है तेरा शहर वो मेरा गाँव
है इसAshwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-17844464449754458562012-03-08T10:38:00.001-08:002012-03-08T10:44:12.993-08:00ओ पवन उनकी हथेली की छुअन लाना कभी--गीत द्वारा सतीश अग्रवाल ,फरीदाबाद
ओ पवनAshwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-31779042497210268632012-02-25T06:34:00.000-08:002012-02-25T06:34:35.962-08:00सुबीर संवाद सेवा: श्री अश्विनी रमेश, सुश्री रजनी मल्होत्रा नैय्यर, श्री अशोक अकेला और श्री पी.सी.गोदियाल "परचेत" के साथ समापन करते हैं सुकवि रमेश हठीला स्मृति तरही मुशायरा का आज ।#comment-form#comment-form#comment-form#comment-form#comment-formसुबीर संवाद सेवा: श्री अश्विनी रमेश, सुश्री रजनी मल्होत्रा नैय्यर, श्री अशोक अकेला और श्री पी.सी.गोदियाल "परचेत" के साथ समापन करते हैं सुकवि रमेश हठीला स्मृति तरही मुशायरा का आज ।#comment-form#comment-form#comment-form#comment-form#comment-formAshwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-68847728707779223482012-02-24T08:32:00.002-08:002012-02-24T08:32:49.466-08:00कोलाहल ने पत्थर बहत फैंक डाले,कोई आत्मा कैसे जीवन संभाले
कोलाहल ने पत्थर बहत फैंक डाले
कोई आत्मा कैसे जीवन संभाले
स्वयम को जो उत्तम बताने चला है
वो कुछ पाप कुछ पुन्य अपने गिना ले
जो धरती से अम्बर को ही झांकते हैं
वो सागर की गहरायी क्योँ आंकते हैं
वो ग्रहों पे जीवन चले खोजने हैं
हैं जिन्होंने धरा पर सुमन रौंद डाले
जो इच्छुक थे जीवन को रंग डालने के
वो पोषक हैं रंग भेद को पालने के
महाद्वीप जिस पर धनुष इन्द्र देखा
कहा जग से केवल हैं ये मेघ काले
हैं Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-52484162342537319332012-02-18T06:21:00.000-08:002012-02-18T06:22:48.651-08:00है निकट जीवन की संध्या भोर से कह दिजीये एक टुकड़ा धूप का मुट्ठी में है ले लिजीये
है निकट जीवन की संध्या भोर से कह दिजीये
एक टुकड़ा धूप का मुट्ठी में है ले लिजीये
वेदना और कष्ट ही जीवन की हैं उपलाब्धियाँ
आत्मा के कक्ष में संचित है वितरत किजीये
रेत आँगन में बिछाकर मेघ दुश्मन हो गए
नीर नयनों से टपकने को हैं तुलसी दिजीये
यातना परिपक्व होकर दे रही संकेत है
हो अधर यदि मौन तो पलकों को भी ढक दिजीये
Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-42542245135708682632012-02-14T02:40:00.000-08:002012-02-14T02:53:05.214-08:00कई मोड़ जीवन में ऐसे भी आये वही घर उजाड़े जो थे कभी बसाये
कई मोड़ जीवन में ऐसे भी आये
वही घर उजाड़े जो थे कभी बसाये
धरम रखा जिंदा करम मार डाला
वरण रखा जिंदा चरम मार डाला
जहां शव को देखा चदाये सुमन
जहां मार्ग देखा कांटे बिछाए
चलन भी न सीखा चयन भी न जाना
मनन भी न सीखा नमन भी न जाना
रहे दुश्मनों को हँसते हमेशा
जो थे मित्र अपने बहुत ही रुलाये
हरण कर गए हम हनन कर गए हम
दफ़न कर गए हम दमन कर गए हम
कहा था के इक दिन गायेंगे मिलकर
Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6441044242573864065.post-68100702552622926872012-02-13T03:53:00.000-08:002012-02-13T04:06:29.999-08:00मत रुलाने की बातें करो मुस्कराने की बातें करो
मत रुलाने की बातें करो
मुस्कराने की बातें करो
झुक गया सर बहुत झुक गया
सर उठाने की बातें करो
वक्त जैसा भी था कट गया
भूल जाने की बातें करो
आग अपनी हो या गैर की
बस बुझाने की बातें करो
गीत जब गा रहा हो 'सतीश'
गुनगुनाने की बातें करो
--सतीश अग्रवाल फरीदाबाद !
Ashwini Rameshhttp://www.blogger.com/profile/16656626915061597542noreply@blogger.com0