हर शख्स खुद को क्या
दिखाना चाहता है
आखिर वजूद अपना क्यों
बताना चाहता है !
सच ने ही बख्शा है किसी शख्स को वजूद
दूसरों को फिर वोह क्या जताना चाहता है !
जिस खुदा की बदोलत सांसे
ले रहा है वो
उसी खुदा को वोह क्या
आजमाना चाहता है !
कुदरत की तरह सादा ज़िंदगी जीता है जो
ज़माना उसको फिर क्यों
ठुकराना चाहता है !
जमाने की क्यों करते हो’
रमेश’ तुम परवाह
खुदा तो है जो तुम्हे अच्छा बनाना चाहता है !!
© --अश्विनी रमेश
(इस ग़ज़ल की रचना मेरे द्वारा आज दिनांक 24 नवम्बर ,2013 की गयी )
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