ओ पवन उनकी हथेली की छुअन लाना कभी
आये जब होली तो मेरे मुख पे मल जाना कभी
हो सुपरिचत केश की मधु गंध से तुम भी पवन
एक मुट्ठी भर के अपने साथ ले आना कभी
टिमटिमाये बिन दीया जब जल रहा हो सामने
एक झोंके से मेरी पलकों को ढक जाना कभी
नीर नयनों से बहाकर हमने संचित कर लिये
भेद सावन बीत जाने का बता जाना कभी
करवटों से बिस्तरे पर गीत हमने लिख दिया
वो जो आँगन में मिले तो गुनगुना जाना कभी !!
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