मिज़ाजे मौसम अब बदलता जा रहा है
हवाओं का रुख अब बिगड़ता जा रहा है
तबीयत तुम अब तो हमारी बस न पूछो
दिले नाज़ुक अब तो बिखरता जा रहा है
कहीं दिलकश मन्ज़र तलाशे है मगर ये
दिले नादां तो बस तडपता जा रहा है
खबर कोई आखिर हमारी रखे ऐसा ये
उम्मीदे ख्याल भी संभलता जा रहा है
पशेमा होकर ही हमें जीना पड़ेगा
सकूने दिल अब तो ठहरता जा रहा है !!
--अश्विनी रमेश !
*****
(यह गज़ल मैंने७/१/२०१२ को हिमधारा पर प्रकाशित की थी और इसका लिंक इस ब्लॉग पर भी दे दिया था ! पाठकों की सुविधा के लिये अब पूरी गज़ल यहाँ भी पोस्ट कर रहा हूँ--अश्विनी रमेश )
हवाओं का रुख अब बिगड़ता जा रहा है
तबीयत तुम अब तो हमारी बस न पूछो
दिले नाज़ुक अब तो बिखरता जा रहा है
कहीं दिलकश मन्ज़र तलाशे है मगर ये
दिले नादां तो बस तडपता जा रहा है
खबर कोई आखिर हमारी रखे ऐसा ये
उम्मीदे ख्याल भी संभलता जा रहा है
पशेमा होकर ही हमें जीना पड़ेगा
सकूने दिल अब तो ठहरता जा रहा है !!
--अश्विनी रमेश !
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(यह गज़ल मैंने७/१/२०१२ को हिमधारा पर प्रकाशित की थी और इसका लिंक इस ब्लॉग पर भी दे दिया था ! पाठकों की सुविधा के लिये अब पूरी गज़ल यहाँ भी पोस्ट कर रहा हूँ--अश्विनी रमेश )
Zindagi se pasheman hona bhi ik khata hai
जवाब देंहटाएंParvat ooncha hai to kya,us or jana padega
हरीश जी,
जवाब देंहटाएंये पशेमानी भी जिन्दगी का एक पहलू है,हर पहलू का अनुभव करके ही तो जिन्दगी की वास्तविकता को समझा जा सकता,इस शेर का भी गूढ़ अर्थ यही निकलता है कि पशेमानी की स्थिति के लिये भी शायर तैयार है !टिप्पणी के लिये शुक्रिया !ठीक समझे तो ब्लॉग सदस्य के लिये भी आपका स्वागत होगा !
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअश्वनी जी आपका ग़ज़ल लिखने का दौर बहुत ही रोमांचक है। अब आपका ब्लॉग अच्छा भी लग रहा है। हैडर में जो टैक्स्ट है वो नज़र नहीं आ रहा उस पर भी कुछ ग़ौर कीजिएगा
जवाब देंहटाएंबादल साहब
जवाब देंहटाएंगज़ल पर टिप्पणी के लिए शुक्रिया !हैडर के बारे में ,मैं गौर करूँगा !